शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

पढऩे से नहीं, डर स्कूल से लगता है




दबंग फिल्म का एक डॉयलाग बहुत मशहूर हुआ था। डॉयलाग था- थप्पड़ से नहीं प्यार से डर लगता है साहब। अब उसी तर्ज पर पश्चिम बंगाल में बच्चे कह रहे हैं कि पढऩे से नहीं, स्कूल से डर लगता है। इसकी वाजिब वजहें भी हैं। स्कूलों में छोटी मोटी गल्तियों पर जिस तरह की सजा देने का चलन शुरू हुआ है, उसे सुनकर ही पसीने आ जाते हैं। शिक्षकों द्वार दी जा रही अजीबोगरीब सजा से बाल मन पर कितना बुरा असर पड़ता होगा, इस तरफ किसी की भी निगाह नहीं है। बार बार कोर्ट के आदेश के बावजूद बच्चों को शारीरिक व मानसिक दंड देने का सिलसिला रुक ही नहीं रहा है। अभी पिछले दिनों लगातार एक के बाद एक घटी इस तरह की कई घटनाओं ने पूरे राज्य को मथ दिया है।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के सपनों का शांतिनिकेतन इन दिनों अपनी कलाप्रियता व पढ़ाई लिखाई को लेकर नहीं बल्कि दूसरे कारणों से चर्चित है। इस बार जिस मामले को लेकर शांतिनिकेतन चर्चा में है, वह है पांचवी क्लास की एक छात्रा को अपना ही पेशाब चाटने को विवश करने को लेकर।  स्कूल के छात्रावास की वॉर्डन उमा पोद्दार ने 5वीं क्लास की एक छात्रा को बिस्तर गीला करने पर सजा के तौर पर अपना पेशाब चाटने को विवश किया था। बावेला मचने पर उमा को गिरफ्तार कर लिया गया था।.  फिलहाल वह जमानत पर है। उसे स्कूल से निलंबित भी कर दिया गया है।
दरअसल विश्वभारती विश्वविद्यालय के तहत संचालित पाथा भवन स्कूल की पांचवीं की छात्रा ने सोते समय बिस्तर गीला कर दिया था। इससे नाराज स्कूल के छात्रावास की वार्डन उमा पोद्दार ने उसे दंड स्वरूप उसी का पेशाब चाटने को विवश किया। आरोप है कि उन्होंने पेशाब पर नमक छिड़क दिया और सजा के तौर पर उसे चाटने के लिए कहा।
लड़की ने यह बात अपनी मां को बताई, जिसके बाद उसके अभिभावक तथा कई अन्य लोगों ने छात्रावास के परिसर में पहुंचकर हंगामा करना शुरू कर दिया। पहले तो वार्डन को बचाने की भरपूर कोशिश की गई पर जब मामला तूल पकड़ गया तो अंतत: पुलिस को उसे गिरफ्तार करना पड़ा। फिलहाल वह जमानत पर है। पहले स्कूल प्रशासन की ओर से उसका बचाव करते हुए कहा गया कि उक्त वार्डन ने गांवों में प्रचलित धारणा के तहत ऐसा किया। ऐसा माना जाता है कि जो बच्चे बिस्तर गीला करते हैं यदि उन्हें उन्ही का पेशाब चटा दिया जाये तो उनकी बिस्तर गीला करने की आदतें छूट जाती हैं। पर ये थोथी दलीलें लोगों के गले नहीं उतरी। यह मामले को तूल पकड़ता देख विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूर्व छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष अरुणा मुखर्जी की अध्यक्षता में मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन कर दिया। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय ने पोद्दार को वार्डन के पद से हटा दिया।
घटना की चौतरफा निंदा हुई। यहां तक कि इसकी आंच प्रधानमंत्री कार्यालय तक जा पहुंची। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी विश्वविद्यालय तथा राज्य सरकार से इस पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब है कि विश्व भारती की स्थापना नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का नोटिस भी जारी कर दिया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री विश्वभारती विवि के चांसलर भी हैं। नोटिस में कहा गया है कि विश्व भारती ने शारीरिक दंड देकर इस तरह के दंड पर रोक लगाने के न्यायालय के पूर्ववर्ती आदेश का उल्लंघन किया है।
मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल तथा न्यायमूर्ति संबुध चक्रवर्ती की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया है। याचिका में दावा किया गया था कि विश्वभारती ने कोर्ट के पूर्व निर्देशों की अवहेलना करते हुए उक्त छात्रा को शारीरिक दंड दिया है। जनहित याचिका दाखिल करने वाले तापस भंज के अनुसार कोर्ट ने उन्हें विवि के चांसलर प्रधानमंत्री, कुलपति सुशांत दत्ता गुप्ता, कुलसचिव मणि मुकुट मित्रा, हॉस्टल वार्डन उमा पोद्दार तथा पश्चिम बंगाल के शिक्षा सचिव बिक्रम सेन को नोटिस देने को कहा है।
गौरतलब है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2004 में ही स्कूलों में किसी भी प्रकार के शारीरिक दंड देने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद कोर्ट ने 2009 में समुचित दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि छात्रों को शारीरिक दंड देने के बजाय उन्हें समझाया बुझाया जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार से भी कहा था कि वह शारीरिक दंड के खिलाफ व्यापक प्रचार करे। साथ ही दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था।
बहरहाल अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि एक और शिक्षिका के कारनामे ने राज्य को शर्मसार कर दिया। उक्त शिक्षिका ने उत्तर 24 परगना जिले के गोपालनगर में आठवीं की एक छात्रा के कपड़े भरी क्लास में उतरवा दिए। इस छात्रा पर सहपाठी के पैसे चुराने का आरोप था।
लड़की के पिता पवित्र मंडल ने गोपालनगर विद्यालय की शिक्षिका रूपाली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने शिकायत में कहा कि रूपाली ने उनकी बेटी पर सहपाठी के पैसे चुराने का आरोप लगाया। सभी छात्राओं के सामने कपड़े उतारे और तलाशी ली।
 दरअसल उस छात्रा पर उसकी सहपाठी ने पचास रुपये चुराने का आरोप लगाया था। इससे भड़की शिक्षिका रूपाली ने लड़की के सारे कपड़े भरी क्लास में उतरवा दिए। एसडीओपी के अनुसार धारा 354, 509 के तहत गोपालनगर गिरिबाला उच्च बालिका विद्यालय की टीचर रूपाली डे को गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटना कोलकाता से करीब 75 किलोमीटर दूर उत्तर 24 परगना जिले के गोपालनगर में हुई थी।
एक ऐसी ही घटना पूर्वी मिदनापुर जिले में हल्दिया कस्बे के डेरा कृष्णा बाणी तीर्थ बालिका विद्यालय की 8वीं क्लास की एक छात्रा के साथ भी हुई। यहां एक छात्रा से फर्श पर पानी गिर गया। जिस पर स्कूल की प्रिंसिपल संध्या ने उसे कपड़े उतारने का आदेश दिया और पिटाई भी की। स्कूल से घर लौटने पर छात्रा बीमार हो गई। उसके माता-पिता ने स्कूल की मैनेजिंग कमिटी में शिकायत दर्ज करवाई। हालांकि, प्रिंसिपल संध्या ने आरोप का खंडन किया है। इस बीच, शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने सभी घटनाओं की जांच के आदेश दे दिए हैं।

                                                                                                         बद्रीनाथ वर्मा

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