शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

गिव एंड टेक



राष्ट्रीय साप्ताहिक इतवार के 19 अगस्त अंक में प्रकाशित

हाजिर नाजिर

इंट्रो : चांद मोहम्मद उर्फ चंद्रमोहन और फिजा की दास्तान-ए-मोहब्बत का दुखद अंत, और एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा की आत्महत्या ने एक बार फिर इतिहास के पन्नों में दफन नेताओं के प्रेम प्रसंगों और विवाहेतर संबंधों की परत दर परत उधेड़ कर रख दी है
 
एक बड़ा पुराना फिल्मी गीत है 'इस प्यार को क्या नाम दें। जी हां, कुछ इसी तरह के विभ्रम का शिकार मैं भी हूं कि आखिरकार फिजा और चांद की इस दुखद प्रेमकथा को क्या नाम दूं। यह प्रेम है। वासना है।  सेक्स, सियासत और रसूख का घालमेल है। या सीधा सीधा 'दो और लो या फिर 'यूज एंड थ्रो फार्मूला है। दरअसल, जल्द से जल्द आकाश की बुलंदियों को छू लेने की महत्वाकांक्षा ही मुख्य रूप से ऐसी प्रेमकथाओं को जन्म देती है। साफ शब्दों में कहा जाए तो गिव एंड टेक का फार्मूला अपनाया जाता है। स्त्री को सिर्फ देह के रूप में देखने वाले पुरुषों को जहां उनका उपभोग करने की ललक होती है वहीं औरतों को सत्ता के साये में आसमान की ऊंचाइयां छू लेने की जल्दबाजी। बात जब हद पार करने लगती है तो अक्सर फिजा जैसी माशुकाओं को मरना पड़ता है।
हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन के इश्क में गिरफ्तार अनुराधा बाली का ऐसा अंत होगा किसी ने सोचा भी नहीं होगा। मोहाली स्थित अपने आवास पर उसका सड़ा गला शव मिला। हरियाणा की महाधिवक्ता रही अनुराधा बाली जन्म से ब्राह्मण थी। उसने व चंद्रमोहन ने मुस्लिम धर्म अपनाकर शादी कर ली। नया नाम था चांद मोहम्मद और फिजा। इस विवाह ने सियासी फिजा को इतना बदरंग कर दिया कि यह चौक चौराहे की बहस का पसंदीदा विषय बन गया। हालांकि बाद में पारिवारिक दबाव के चलते चांद मोहम्मद फिर चंद्रमोहन बन गए। और फिजा के मोबाइल पर उनका तलाक-तलाक-तलाक का एसएमएस पहुंच गया। चंद्रमोहन की इस बेवफाई से फिजा बुरी तरह टूट गई। विषादग्रस्त फिजा जमकर शराब पीने लगी। इसकी तस्दीक उसके शव के पास से बरामद गिलास व शराब की बोतल से भी होती है। खैर, उसकी मौत कैसे हुई यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा पर इतना तो तय है कि उसकी प्रेमकथा के पीछे कहीं न कहीं जल्द से जल्द आकाश की बुलंदियों को छू लेने की चाहत ही रही।
वैसे यह कहानी एक अकेले फिजा की नहीं है। ऐसी सैकड़ों सियासी फिजाएं हैं। यह फेहरिश्त इतनी लंबी है कि इस पर पूरी की पूरी किताब लिखी जा सकती है। हरियाणा के गृहमंत्री गोपाल कांडा और एयर होस्टेस गीतिका शर्मा, राजस्थान में भंवरी देवी और मदेरणा, उत्तर प्रदेश में मधुमिता शुक्ला और अमरमणि त्रिपाठी। इन सभी सियासी प्रेमकथाओं का अंत खूनी ही हुआ। राजनीति की ये सारी अपराधकथाओं ने अपने समय में पूरे देश को मथ दिया था। फिजा के बाद ताजा मामला गीतिका शर्मा का है। उसने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत का जिम्मेदार हरियाणा के गृहमंत्री गोपाल कांडा को ठहराया। उसने सुसाइड नोट में कांडा पर शारीरिक व मानसिक उत्पीडऩ का आरोप लगाया। बहरहाल, इस 23 वर्षीय एयरहोस्टेस की आत्महत्या में नाम आने के बाद कांडा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। खैर, फिजा और गीतिका से लेकर नैना शाहनी तक सैकड़ों नाम हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसे यूज एण्ड थ्रो नाम देना ठीक रहेगा? शायद हां, क्योंकि इसके लिए इससे बेहतर कोई संबोधन हो ही नहीं सकता। इसमें सिर्फ सियासतदानों को गुनहगार ठहराना जायज नहीं होगा। दरअसल, यह प्रेम नहीं बल्कि गिव एंड टेक के तहत महत्वाकांक्षाओं की ऊंची उड़ान थी। एक सौदा था। प्यार के नाम पर एक तरफ जहां सिर्फ और सिर्फ वासना थी वहीं दूसरी तरफ सत्ता से नजदीकी की चाहत।
्र्र राजस्थान के पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और नर्स भंवरी देवी का मामला भी सेक्स और महत्वाकांक्षा का घालमेल है। अब यह बात खुलकर सामने आ गई है कि लोकगायिका भंवरी देवी मदेरणा को ब्लैकमेल कर रही थी। जब पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा तो उसकी इहलीला समाप्त कर दी गई। गौरतलब है कि भंवरी की मदेरणा के साथ एक सीडी सार्वजनिक हो चुकी है जिसमें मदेरणा और भंवरी देवी की नजदीकियां साफ देखी जा सकती हैं। सीडी तैयार करने में भंवरी की भी भूमिका थी। सीडी आने के बाद से वह लापता हो गई। बाद में उसकी हत्या की पुष्टि भी हो गई।
 ऐसी ही मुहब्बत की एक और खूनी दास्तां युवा कवयित्री मधुमिता शुक्ला और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की भी है। इस प्रेमकथा की कीमत भी मधु को अपनी जान गवां कर चुकानी पड़ी थी। एक नेता से प्रेम करने का कर्ज चुकाना पड़ा। एक नवोदित कवयित्री और एक सियासतदां की यह प्रेम कहानी बदस्तूर चलती रहती बशर्ते मधुमिता, अमरमणि पर विवाह करने का जोर न डालती। नौ साल पहले अचानक मधुमिता की उसके लखनऊ स्थित पेपर मिल कालोनी के घर में हत्या कर दी गई। जांच पड़ताल के बाद अदालत ने मंत्री अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, उनके चचेरे भाई रोहित चतुर्वेदी और उनके सहयोगी संतोष राय को मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में दोषी पाया। अमरमणि मधुमिता की हत्या के जूर्म में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं।
एक और सियासी प्रेम त्रिकोण की चर्चा किए बिना यह राजनीतिक अपराधकथा अधूरी ही होगी। दरअसल, हम बात राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन सैयद मोदी, उनकी पत्नी अमिता और कांग्रेसी नेता संजय सिंह की कर रहे हैं। जुलाई 1988 में लखनऊ के केडी बाबू स्टेडियम से अभ्यास के बाद बाहर आते समय उनकी हत्या कर दी गई। अंगुली संजय सिंह और मोदी की पत्नी अमिता की ओर उठी क्योंकि उन दोनों के प्रेम संबंध की खबरें काफी समय से सुनाई पड़ रही थीं। बाद में सीबीआई ने एक डायरी बरामद की जिसमें संजय और अनिता के प्रेम का खुलासा था। आज अमिता संजय सिंह की पत्नी के रूप में राज परिवार की बहू कहलाती हैं। इसके अतिरिक्त भी कुछ ऐसी प्रेमकथाएं हैं जो समय समय पर चर्चित रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तो खुले आम यह स्वीकार कर चुके हैं कि वह अविवाहित जरूर हैं पर ब्रम्हचारी नहीं। अटलजी का एक पंजाबी महिला से संबंध था। कल्याण सिंह व कुसुम राय का प्रेम संबंध भी एक जमाने में खूब चर्चित हुआ था। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए कुसुम राय सुपर सीएम मानी जाती थीं। उनका जलवा ये था कि वह एक काली लालबत्ती वाली गाड़ी में चला करती थीं और उनके पीछे मुख्यमंत्री के कोबरा बल के वाहन हुआ करते थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर कुसुम राय भाजपा की सिर्फ एक पार्षद थीं। असम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल महंत व संघमित्रा घराली का प्रेम संबंध भी खूब चर्चित हुआ।
 यहां एक बात विशेष रूप से उल्लेख करना जरूरी है कि कई राजनीतिज्ञों ने अपनी मुहब्बत को एक मुकाम दिया और जिससे प्यार किया उसके साथ जीवन भर के लिए जुड़ गए। पर अधिकतर ऐसेे हुए जिन्होंने अपने प्यार को सिवाय बदनामी के कुछ नहीं दिया। यह अलग बात है कि किसी की खबरें मीडिया की सुर्खिया बन जाती हैं और कोई ताउम्र दोहरा जीवन जी लेता है और किसी को पता भी नहीं चलता। इसके लिए यही कहा जा सकता है कि वासना के आवेग में लोग प्रेम का नाम देते हुए संबंध तो बना लेते हैं पर भांडा फूटने के डर से अक्सर ये प्रेम कहानियां खूनी दास्तां में तब्दील हो जाती हैं।
                                                                                           बद्रीनाथ वर्मा

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