सोमवार, 3 जून 2013

लीपापोती नहीं, कार्रवाई चाहिए

               बद्रीनाथ वर्मा
    (राष्ट्रीय साप्ताहिक न्यू देहली पोस्ट में प्रकाशित)
आईपीएल में सेक्स शराब व सट्टा जैसी बुराइयों के घुस आने को लेकर कभी इसे इंडियन पियक्कड़ लीग तो कभी पैसा लीग कहा गया। लेकिन अब यह दो कदम और आगे बढ़कर फिक्सिंग लीग के रूप में तब्दील हो चुका है। तीन खिलाडियों के स्पॉट फिक्सिंग में फंसने व कई अन्य के शक के घेरे में आने के बाद भी इसके कर्ता धर्ता सचेत नहीं हुए हैं। इस खेल की गरिमा पर फिर कोई आंच न आये ऐसा कुछ करने की बजाय उनकी दिलचस्पी लीपापोती में ज्यादा है। उन्हें विश्वास है कि यह आग अपने आप ठंडी पड़ जाएगी। मामला कुछ दिनों बाद अपने आप ठंडा पड़ जाएगा कि सोच रखने वालों से इससे ज्यादा की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। आईपीएल की फिक्सिंग में अपने दामाद की गिरफ्तारी के बावजूद नारायणस्वामी श्रीनिवासन जिस ढिठाई से बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं उससे यह साफ जाहिर होता है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों के सामने नैतिकता का कोई मोल नहीं बचा है। श्रीनिवासन का प्रेस कांफ्रेंस में यह कहना कि मैं क्यों इस्तीफा दूं, साफ बताता है कि अपनी ओर उठती उंगली के बावजूद उच्च पदों पर बैठे लोगों पर अब नैतिकता का दबाव काम नहीं करता। यही नहीं बल्कि वे अपने दामाद को बचाने की कोशिश में भी लगे हैं! उनका तर्क है कि गुरुनाथ मयप्पन की टीम परिचालन में कोई भूमिका नहीं थी।
जबकि आईपीएल आयुक्त राजीव शुक्ला का पुराना ई-मेल बताता है कि गुरुनाथ चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिकों में से थे। ट्वीटर प्रोफाइल में भी गुरुनाथ ने खुद को चेन्नई सुपरकिंग्स का टीम प्रिंसिपल बताया था। साफ है कि श्रीनिवासन अपने दामाद की भूमिका को महत्वहीन बताने की कोशिश कर रहे हैं। जांच के लिए कमेटी गठित करने की उनकी घोषणा एक भद्दे मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है, क्योंकि कमेटी में अधिकांश तो उनके करीबी ही हैं।यानी टीम उनकी, दामाद उनका और क्रिकेट बोर्ड के मुखिया भी वही। ऐसे में वह न्याय करेंगे, इसकी रत्ती भर भी गारंटी कैसे होगी? इसी सवाल को भाजपा सांसद व पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने भी उठाया है। उनके अनुसार अलीबाबा के साथी भला अलीबाब को चोर क्योंकर साबित करेंगे। बोर्ड के जो सदस्य बहुमत के अभाव में श्रीनिवासन को बीसीसीआई से बाहर नहीं कर पा रहे, क्या वे उनसे उनके दामाद के बारे में पूछताछ कर पाएंगे? जिस चेन्नई सुपर किंग्स में अपनी संदिग्ध भूमिका के कारण गुरुनाथ को गिरफ्तार किया गया है, श्रीनिवासन उसके प्रबंध निदेशक हैं; और जांच कमेटी के गठन की घोषणा श्रीनिवासन ने बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर की है। ऐसे में अगर वह सचमुच ईमानदार हैं, तो ऐसी कमेटी का गठन क्यों नहीं करते, जिसमें बीसीसीआई के लोग न हों! खेलों की स्वायत्तता में दखल बेशक ठीक नहीं, पर आईपीएल में जो हो रहा है, उसे देखते हुए सरकार का हस्तक्षेप जरूरी लगता है।
 यहां भारतीय क्रिकेट टीम व आईपीएल में चेन्नई टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चुप्पी भी हैरान करने वाली है। सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार बिंदू दारा सिंह के साथ टीम बॉक्स में बैठी उनकी पत्नी साक्षी की तस्वीरे सामने आने के बाद उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। उनसे मीडिया ने एक के बाद एक पांच सवाल फिक्सिंग और इससे जुड़े मुद्दों पर पूछे लेकिन कुछ पल चुप रहने के बाद वे ढिठाई से मुस्कराने लगे। वहीं बोर्ड के मीडिया मैनेजर घूम घूम कर फिक्सिंग से जुड़े सवाल पूछने से पत्रकारों को रोकते रहे। आखिर क्यों खामोश हैं धोनी। कहीं उनकी खामोशी इसलिए तो नहीं कि श्रीनिवासन के उनके ऊपर ढेर सारे उपकार हैं। अब वे उनका कर्ज उतार रहे हैं। धोनी के नाम एक साल में लगातार आठ टेस्ट मैचों में हारने का शर्मनाक कीर्तिमान है। वह 2011 में इंग्लैंड में 4-0 से और आस्ट्रेलिया में भी इतने ही अंतर से हारे थे।
हर किसी को भरोसा था कि धोनी की कप्तानी चली जाएगी। लेकिन बने रहे। साफ था कि धोनी को उनकी आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक और बोर्ड अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के करीबी होने का फायदा मिलता रहा। अब जबकि श्रीनिवासन अपने दामाद के कारण फंस गए हैं, धोनी इस मामले में चुप्पी साध कर पुराना कर्ज उतार रहे हैं। वैसे श्रीनिवासन ने धोनी को अपनी कंपनी इंडिया सीमेंट में वाइस प्रेसिडेंट का पद भी दिया हुआ है।

एक तरफ श्रीनिवासन इस्तीफा नहीं देने पर डटे हुए हैं तो दूसरी तरफ उनके समर्थन में भी आवाजें उठने लगी हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने यह कहकर उनका बचाव किया है कि दामाद की गल्ती के लिए वे क्यों इस्तीफा दें। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि हर मुद्दे पर बेबाक बोलने वाले नरेंद्र मोदी और बीसीसीआई उपाध्यक्ष अरुण जेटली का इस पर अब तक एक भी बयान नहीं आया है। वहीं राजीव शुक्ला भी इस पर खामोश हैं। सवाल है कि क्यों ये सभी लोग खामोश हैं। हालांकि श्रीनिवासन के इस्तीफे की एक आवाज उठी है और वह है ज्योतिरादित्य सिंधिया की। वरिष्ठ बीसीसीआई कार्यकारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मांग की कि एन श्रीनिवासन को तत्काल क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीनिवासन के दामाद मैयप्पन पुलिस की गिरफ्त में हैं।

 बीसीसीआई प्रमुख के इस्तीफे से सट्टेबाजी तथा फिक्सिंग मामलों की जांच में मदद मिलेगी। सिंधिया ने कहा कि श्रीनिवासन की टीम और उसके मैनेजर पर सवाल उठे हैं, अतः उन्हें अपनी जिम्मेदारी का बहुत बेहतर ढंग से पालन करना चाहिए। फिक्सिंग के खुलासे के बाद इसे रोकने के लिए कानून बनाने की वकालत की जा रही है। परंतु अब कुछ और फिक्सरों के बारे में जो ताजा खुलासा हुआ है, उसके बाद कोई भला कैसे मान ले कि फिक्सिंग के खिलाफ कानून बना देने से मामला सुलझ जाएगा? सच तो यह है कि मौजूदा स्थिति में क्रिकेट की गरिमा को बनाए रखने का कोई प्रयास श्रीनिवासन को बाहर किए बिना और बीसीसीआई में पारदर्शिता के लिए कदम उठाए बगैर अधूरा ही होगा।

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