शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

मिशन रस्साकसी


                                      बद्रीनाथ वर्मा

लोकसभा चुनाव को अभी एक साल बाकी है। पर अभी से मिशन 2014 की तैयारियां पूरे शबाब पर है। लोकसभा चुनाव 2014 के लिए बिगुल फूंका जा चुका है । सभी अपने अपने चेहरे चमकाने में लगे हैं। नेता मिशन 2014 फतह करने के काम में जुट चुके हैं। एक दूसरे को मात देने के लिए हर हथकंडा अपनाया जा रहा है। भाजपा चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष चुने जाने के बाद जहां गुजरात के मुख्यमंत्री व भाजपा में प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे नरेन्द्र मोदी ने पठानकोट में यूपीए सरकार की बखिया उधेड़ी वहीं मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर लोकसभा चुनाव का शंखनाद किया। संभवतः अपने इस अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार में उन्होंने 8 नये मंत्रियों को शामिल किया। एक तरफ 85 वर्ष के शीशराम ओला को मंत्री पद से नवाजा गया तो दूसरी तरफ आस्कर फर्नानिंडीज को भी इसमें जगह दी गयी। अब मनमोहन सिंह का यह दाव कितना कामयाब होता है यह तो वक्त ही बताएगा। जिस तरह से मनमोहन नीत यूपीए सरकार पर घपले, घोटाले व भ्रष्टाचार के नित नये आरोप लगे हैं उसकी कितनी भरपाई हो पायेगी यह भी भविष्य के गर्भ में है। केदारनाथ में आई भयंकर प्राकृतिक आपदा को भी मिशन 2014 की जीत हार के चश्मे से देखा जा रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के आपदाग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वे करने व सहायता की पेशकश से खुद को पिछड़ता देख कांग्रेस के मैनेजरों ने मोदी को लक्ष्य कर विषैले बाण छोड़ने शुरू कर दिये। उधर विदेश में छुट्टी बिता कर आपदा के आठ दिनों बाद देश लौटे राहुल गांधी को पूरे तामझाम के साथ राहत सामग्रियों को उत्तराखंड रवाना के वक्त टीवी कैमरों के सामने लाया गया। पूरे गाजे बाजे के साथ राहत सामग्री ले जा रहे ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। छवि चमकाने की कोशिश के तहत आनन फानन में राहुल गांधी उत्तराखंड दौरे पर निकल गये। उन्होंने वहां हवाई सर्वे के साथ ही सड़क मार्ग से भी अपने लाव लश्कर के साथ जायजा लिया। जाहिर है अगला लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी वर्सेज राहुल होने जा रहा है। एक तरफ रोचक भाषणशैली व गुजरात में विकास की बयार बहाकर विश्व स्तर पर प्रशंसा पाने वाले मोदी हैं तो दूसरी तरफ ज्वलंत विषयों पर चुप्पी साध जाने वाले राहुल हैं। जहां मोदी के नाम पर उनकी पार्टी में भी असहमति के स्वर गूंज रहे हैं वहीं राहुल के साथ पूरी कांग्रेस लामबंद है। हालांकि भ्रष्टाचार व महंगाई से आजिज जनता कितना उनका साथ देगी इसकी बानगी विभिन्न मीडिया संस्थानों द्वारा कराये गये सर्वे से मिल रही है। प्रधानमंत्री के रूप में जहां नरेंद्र मोदी को 48 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं वहीं राहुल को पसंद करने वालों का आंकड़ा बमुश्किल दहाई तक पार कर रहा है। बावजूद इसके इस बात का ध्यान रखना होगा कि हमारे यहां प्रधानमंत्री का चुनाव देश की जनता नहीं बल्कि जीते हुए सांसद करते हैं। अब तो चुनाव बाद ही यह पता चलेगा कि किस पार्टी के कितने सांसद चुने गये।
अब तक हुए सभी सर्वे का अगर निष्कर्ष निकाला जाए, तो दो बातें मुख्य तौर पर सामने आती हैं। पहली यह कि लोग वर्तमान सरकार से नाराज़ हैं और कांग्रेस पार्टी फिर से चुनाव नहीं जीत सकती। दूसरी जो सबसे महत्वपूर्ण है और वह यह कि देश का बहुमत नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता है। मतलब यह है कि इन सभी सर्वे रिपोर्ट के जरिए भाजपा को संदेश दिया जा रहा है कि कांग्रेस से नाराज़गी का मतलब यह नहीं है कि लोग भाजपा की सरकार लाना चाहते हैं, बल्कि वे अगली सरकार के रूप में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार चाहते हैं. अब सवाल यह उठता है कि क्या इन सर्वे पर भरोसा किया जाना चाहिए? क्या कोई सर्वे एक साल बाद होने वाले चुनावों के बारे में पूर्वानुमान लगा सकता है? इन सवालों का सीधा जवाब है, नहीं। यही वजह है कि कोई भी सर्वे सही नहीं साबित होता है और अगर कोई हो भी जाता है, तो वह महज एक अपवाद है या तुक्के में सच साबित हो जाता है. पहला सवाल तो इन सर्वे की विश्वसनीयता पर उठता है। इन सर्वे का परिणाम उसके मुताबिक तैयार किया जाता है, जो इन्हें कराता है और सर्वे करने वाली एजेंसी को पैसे देता है। ऐसा देखा गया है कि ज़्यादातर राजनीतिक दल अपनी रणनीति तय करने के लिए चुनावी सर्वे कराते हैं और कभी-कभी ये चुनावी सर्वे राजनीतिक दलों की रणनीति का हिस्सा होते हैं, जो कि अपने पक्ष में माहौल बनाने और अफवाह फैलाने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल होते हैं. अब सवाल यह है कि क्या ये चुनावी सर्वे किसी रणनीति का हिस्सा हैं और अगर हैं, तो ये कहां से संचालित हो रहे हैं।  
बहरहाल भरोसे पर दुनिया कायम है। मिशन 2014 मिशन रस्साकसी में तब्दील हो चुका है। भाजपा की राष्ट्रीय चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पठानकोट में अपनी पहली रैली कर लोकसभा चुनाव 2014 का शंखनाद किया। जिम्मेदारी मिलने के बाद मोदी की यह पहली रैली थी। मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति करती है। देश पर खतरे के प्रति कांग्रेस लापरवाह है साथ ही उन्होंने कहा कि देश में सत्ता के दो ध्रुव बनने से देश की हालत बदतर हुई है। भाषणकला में माहिर व जनता की नब्ज समझने वाले मोदी ने केंद्र सरकार द्वारा दिखाए गए भारत निर्माण के विज्ञापन पर भी चुटकी ली और कहा कि जिस भारत निर्माण का विज्ञापन सरकारी खर्चे से कराकर सरकार ने अपनी वाहवाही लूटनी चाही थी, उस भारत निर्माण पर उन्हें शक है। लेकिन जब उन्होंने यह बात सार्वजनिक तौर पर कही तो केंद्र सरकार को भी अपने विज्ञापन पर शक हुआ और उसने विज्ञापन रोक दिया। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से लोगों को जोड़ने का काम करते आए हैं और आगे भी वह यह काम जारी रखेंगे।

अपने भाषण में उन्होंने जहां कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया वहीं उन्होंने डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सरदार पटेल और अंबेडकर को देश का सच्चा सपूत बताया। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री पर भी निशाना साधा। मोदी ने कहा कि इन दिनों देश में दो प्रधान हैं। देश की जनता को यह नहीं पता है कि सच्चा प्रधान कौन है और कौन नहीं। 
उन्होंने केंद्र पर युवा शक्ति की अवहेलना करने का भी आरोप लगाया। मोदी ने पीएम से पूछा कि देश के जवानों के सिर काट लेने के बाद आखिर उन्होंने क्या किया। उन्होंने केंद्र सरकार पर देश को बर्बाद करने का आरोप लगाया। अपने राजनीतिक जीवन में पंजाब का अहम रोल बताते हुए मोदी ने प्रकाश सिंह बादल को पिता तुल्य करार दिया। उन्होंने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऎसे जमीन से जु़डे नेता थे जिन्होंने रेलवे के तीसरे दर्जे के डिब्बे में दिल्ली से पठानकोट तक का सफर किया और इन डिब्बों में परिवर्तन कर सुधार किया था। इस रैली में उन्होंने सभी से उत्तराखंड के पीडितों की मदद करने के अपील की। रैली में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल अपने निजी हेलीकाप्टर से शाहपुरकंडी आरएसडी पहुंचे थे। 

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