शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

दिन ब दिन बढ़ती मुशर्रफ की मुश्किलें

                                                बद्रीनाथ वर्मा

वर्ष 2009 के शुरू से ब्रिटेन में आत्मनिर्वासन में रह रहे मुशर्रफ को अब यह बात जरूर कचोटती होगी कि काश वे सत्ता का लोभ नहीं करते तो आज कम से कम खुली हवा में सांस तो ले रहे होते। यूं अपने ही महलनुमा घर में कैदी की जिंदगी तो नहीं बसर करनी पड़ती। पर भला विधि के विधान को कौन टाल सकता है। जैसा बोया वैसा काटना तो पड़ेगा ही। पाकिस्तान में आम चुनाव की आहट के साथ ही इस साल की शुरूआत में स्व निर्वासन खत्म कर सत्ता की सवारी करने का अरमान लिए पाकिस्तान लौटे पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ की मुश्किलें है कि दिन ब दिन कम होने की बजाय और बढ़ती ही जा रही हैं। एक के बाद एक उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूटता चला जा रहा है।  ब्रिटेन से यह सोचकर चले थे कि पाकिस्तानी जनता उन्हें हाथोंहाथ लेगी और सत्ता की चाबी उन्हें थमा देगी। पर हुआ इसके ठीक उलट। सत्ता तो दूर चुनाव लड़ने तक के अयोग्य ठहरा दिए गये। पहले चुनाव आयोग ने और बाद में कोर्ट ने उनके चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। न सिर्फ प्रतिबंध लगाया बल्कि अपने शासनकाल में न्यायधीशों को नजरबंद करने के जुर्म में उनकी गिरफ्तारी का आदेश भी दे दिया। गिरफ्तारी के आदेश की खबर जैसे ही उन्हें मिली वे अदालत से भागकर अपने फार्म हाउस में जाकर छिप गये। उनकी यह कारस्तानी सबसे बड़ी भूल साबित हुई क्योंकि गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत से भागकर अपने फार्म हाउस में छिप जाने की उनकी भीरूता ने रही सही कसर भी पूरी कर दी। जिस फौज पर उनका भरोसा था कि वह उनके आड़े वक्त काम आएगी। उसे भी उनका गिरफ्तारी के डर से यूं भरी अदालत से भाग खड़ा होना रास नहीं आया। परिणाम उसने भी मुशर्रफ को अकेला छोड़ दिया। भला कौन ऐसे भगोड़े का साथ देकर अपनी भद्द पिटवाएगा। बेचारे मुशर्रफ अपने फार्म हाउस में नजरबंद तो पहले से ही हैं अब पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री ने यह ऐलान कर उनकी मुश्किलों में और इजाफा कर दिया है कि उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा। गौरतलब है कि इन्हीं नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के शासक बने थे। कहां तो सत्ता सुन्दरी का वरण करने पाकिस्तान पहुंचे थे और कहां अब नजरबंदी में बेबस व लाचार की जिंदगी गुजार रहे हैं। उस पर से तुर्रा यह कि अब राजद्रोह का मुकदमा भी चलेगा। अगर उनका जुर्म साबित हो गया तो फांसी भी हो सकती है।
जनरल परवेज मुशर्रफ पर देशद्रोह का मुकदमा चलाये जाने के पक्ष में जोरदार दलील देते हुए पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संसद में कहा कि मुशर्रफ ने एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार संविधान का उल्लंघन किया। उन्होंने 1999 में तत्कालीन निर्वाचित सरकार का तख्ता पलट कर सब कुछ खतरे में डाल दिया और उसके बाद न्यायाधीशों को बर्खास्त कर उन्हें जेल में डाला। उनका यह अपराध देशद्रोह से तनिक भी कमतर नहीं है। उन्हें अदालत को अपने ऊपर लगाए गये इन सारे इल्जामों का जवाब देना ही होगा। पाकिस्तान के अटार्नी जनरल ने भी संसद में शरीफ से अपनी सहमति जताई। अटार्नी जनरल ने कहा कि सरकार चाहती है कि पाकिस्तान के पूर्व 'तानाशाह' के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए।
पाकिस्तान सरकार के इस फैसले से खौफजदा जनरल मुशर्रफ के प्रवक्ता ने इसे जल्दबाजी में उठाया गया निरर्थक कदम करार देते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की। बदले की कार्रवाई के तहत उन्हें मुकदमों के मकड़जाल में फंसाया जा रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ देशद्रोह का आरोप अनुचित है। सरकार यह आरोप लगा कर अपनी लापरवाही का ही प्रदर्शन कर रही है। गौरतलब है कि जनरल परवेज मुशर्रफ ने सन 1999 में फौज के दम पर लोकतंत्र का गला घोंटते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का सैन्य तख्ता पलट किया था। इसी तरह साल 2007 में पाकिस्तान में राष्ट्रपति शासन के दौरान मुशर्रफ के आदेश पर 55 जजों को नजरबंद कर दिया गया था।
मुशर्रफ की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हो रही हैं। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो हत्या मामले में भी पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को औपचारिक रूप से आरोपी घोषित किया गया है, जिससे इस पूर्व सैन्य शासक की मुश्किलें और बढ़ गई है। गौरतलब है कि रावलपिंडी में बेनजीर को दिसंबर 2007 में एक चुनावी रैली के दौरान एक आत्मघाती हमलावर ने मार डाला था। उन दिनों मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीके तालिबान ने ली थी।
जियो न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने आज आतंकवाद निरोधी न्यायालय (एटीसी) में एक चालान पेश करके बेनजीर भुट्टो हत्या मामले में मुशर्रफ को आरोपी घोषित किया। इस मामले की सुनवाई रावलपिंडी में आतंकवाद निरोधी अदालत में जज हबीबुर रहमान की अध्यक्षता में चल रही है। चालान के अनुसार मुशर्रफ को अमरीकी पत्रकार मार्क सिगेल द्वारा दिए गए बयान के आधार पर आरोपी घोषित किया गया है और चालान में आरोप लगाया है कि जनरल मुशर्रफ बेनजीर भुट्टो की हत्या के षडयंत्र में शामिल थे। इससे इतर पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले की जांच कर रहे संयुक्त राष्ट्र के एक आयोग की रिपोर्ट में मुशर्रफ पर पूर्व प्रधानमंत्री को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया गया था।  एजेंसी के अभियोजक चौधरी अजहर सुरक्षा कारणों की वजह से अदालत में पेश नहीं हो सके। पुलिस द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार अभियोजक को हवाई अड्डे से अदालत तक सुरक्षा उपलब्ध कराई जा सकती है, लेकिन उन्हें 24 घंटे की सुरक्षा उपलब्ध कराना संभव नहीं है। अदालत ने यह सुनिश्चित करने के आदेश दिये कि अगली सुनवाई के दौरान एजेंसी के अभियोजक पेश हो सके। अदालत ने सुरक्षा कारणों की वजह से जनरल मुशर्रफ को अदालत में पेश होने से एक दिन की छूट दी। अदालत जनरल मुशर्रफ को अदालत में पेश होने के लिए स्थाई रूप से छूट देने के बारे में अगली सुनवाई के दौरान फैसला करेंगी। इसके बाद अदालत ने इस मामले की सुनवाई को दो जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया।

इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक बहुत उम्मीद से पाकिस्तान वापस आए थे। मई में संपन्न चुनाव में  अपनी पार्टी को विजयी बनाने का ख्वाब पाले मुशर्रफ ने स्वयं भी चार जगहों से पर्चा भरा, पर चारों जगहों से उनके नामांकन रद्द कर दिए गये। न सिर्फ नामांकन रद्द हुए बल्कि उन्हें चुनाव लड़ने के ही अयोग्य ठहरा दिया गया। सत्ता सुंदरी जिसका ख्वाब लिए वे पाकिस्तान लौटे थे वह तो मिली नहीं उलटे अब नजरबंदी में दिन गुजारने पड़ रहे हैं। उनके साथ यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ हुई कि गये थे रोजा बख्शवाने और नमाज गले पड़ गई। अपनी हनक के आगे किसी को कुछ भी न समझने वाले और हमेशा लोगों की भीड़ भाड़ में रहने वाले मुशर्रफ अपने फार्म हाउस में कैदी की जिंदगी गुजारने को विवश हैं। वक्त ने ऐसा पलटा मारा है कि फौज ने भी साथ छोड़ दिया। अपनी तन्हाइयों में मुशर्रफ यह जरूर सोचते होंगे कि किस मनहूस घड़ी में उन्होंने पाकिस्तान लौटने का फैसला किया।  

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