सोमवार, 15 जुलाई 2013

सात महीने में ही तार-तार हो गया सात जन्मों का बंधन

                            Badrinath Verma 
ई इलावरसन और दिव्या नागराजन की उस प्रेम कहानी जिसने पूरे तमिलनाडु को सुलगा दिया था उसका ऐसा दुखद अंत होगा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। उनके इस अंतरजातीय प्रेम विवाह ने दो जातियों को एक दूसरे के सम्मुख ला दिया था। इस प्रेम कहानी की वजह से दो लोगों की मौत, सैकड़ों लोग घायल व हजारों लोग बेघर हो गये। यहां तक कि प्रेमिका दिव्या नागराजन के पिता ने लोकलाज के चलते आत्महत्या कर ली। धर्मपुरी के रहने वाले इस प्रेमी जोड़े की इस प्रेम कथा ने ऐसा बवंडर मचाया कि हर तरफ बस तबाही ही तबाही नजर आई। इस प्रेम कहानी को राजनेताओं ने भी खूब भुनाया। इस पर जमकर राजनीतिक रोटियां सेंकी गई। अंत में दिव्या नागराजन अपने प्रेमी ई इलावरसन को छोड़कर 2 जून को अपनी मां के घर लौट आई। उसने कोर्ट में कहा कि चूंकि उसके पिता ने आत्महत्या कर ली है और उसकी मां बेसहारा व अकेली हो गई है इसलिए वह अपने प्रेमी इलावरसन के साथ रहने की बजाय अपनी मां के साथ रहना चाहती है। इलावरसन इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सका और 4 जुलाई को उसने ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी। इस प्रेम कहानी का ऐसा दुखद अंजाम देखकर सभी हतप्रभ रह गये। ई इलावरसन की मौत की खबर से धर्मपुरी में तनाव फैल गया। उसका शव धर्मपुरी सरकारी कॉलेज के पीछे रेल की पटरी पर मिला।
दरअसल, 20 साल का इलावरसन अपने से दो साल बड़ी 22 साल की दिब्या पर फिदा हो गया। इलावरसन दलित था जबकि दिव्या ऊंची जाति से ताल्लुक रखती थी। कहा जाता है कि प्रेम अंधा होता है। इसमें ऊंच नीच गरीब अमीर कुछ भी मायने नहीं रखता। यही इन दोनों के साथ बी हुआ। दिव्या भी इलावरसन के प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा न सकी। वह भी इलावरसन से मोहब्बत करने लगी। इश्क और मुश्क छिपाये नहीं छिपते, यह बात यहां भी चरितार्थ हुई। दिव्या व इलावरसन का छिप छिपकर मिलना जल्द ही दुनिया के सामने आ गया। कानाफूंसी होने लगी और जब उनकी इस प्रेम कहानी की जानकारी दिब्या के घर वालों को हुई तो मानो उन पर पहाड़ ही टूट पड़ा। वे  इस रिश्ते को किसी भी हाल में स्वीकार करने को राजी नहीं थे। भला एक ऊंची जाति से ताल्लुक रखने वाला परिवार अपनी बेटी को दलित के घर की बहू बनाने को क्योंकर राजी हो जाता। परिवार की तरफ से दिव्या के घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन वह आग ही क्या जो बुझ जाय। एक दिन मौका पाकर अक्टूबर 2012 में दिव्या अपने प्रेमी इलावरसन के साथ घर से भाग गई।
दिव्या और इलावरसन ने अपने प्रेम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए मंदिर में शादी कर ली। इस शादी ने ऊंची जातियों को तिलमिला दिया। वे दलितों को सबक सिखाने की रणनीति बनाने लगे। वे लगातार इलावरसन के परिवार वालों को धमकी देते रहे कि इस रिश्ते को खत्म कर लो। दिव्या के परिवार वालों ने भी इलावरसन के घर जाकर धमकी दी। इलावरसन ने धमकी के मद्देनजर स्थानीय सेलम पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई। जब किसी तरह बात नहीं बनी तो ऊंची जातियों ने पंचायत करके दलितों से दिव्या को वापस करने का फरमान सुनाया। परंतु दिब्या ने इसे नकारते हुए अपने पिता के घर जाने से इनकार कर दिया।
अपनी बेटी के व्यवहार से आहत दिव्या के पिता नागराजन अपनी इज्जत की छिछालेदर और नहीं सह सके और उन्होंने खुदकुशी कर ली थी। नागराजन की खुदकुशी के बाद गैरदलितो में रोष चरम पर था। करीब 25,00 लोगों की भारी भीड़ नाथम, अन्ना नगर और कोंडोपट्टी गांव में घुस कर 148 दलितों के घरों में आग लगा दी। इसमें दो लोगों की मौत व सैकड़ों लोग घायल हुए।

पुलिस ई इलावरसन की मौत को संदेह की नजर से देख रही है। उसके अनुसार जांच पड़ताल के बाद ही पता चलेगा कि यह खुदकुशी का मामला है या किसी की साजिश का नतीजा। वहीं, स्‍थानीय स्टेशन प्रबंधक ने अपनी‌ शिकायत में आशंका जताई है कि 4 जुलाई की दोपहर 12:55 बजे ई इलावरसन मुंबई जाने वाली लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस के सामने कूद गया। घटना स्‍थल से पुलिस को एक मोटरसाइकिल, एक बैग और कुछ प्रेम पत्र मिले। यह पत्र  उसकी पत्नी दिव्या नागराजन ने उसे पहले लिखा था।
गौरतलब है कि इस घटना से ए‌क दिन पहले ही दिव्या ने मद्रास हाईकोर्ट के बाहर कहा था कि अब उसकी शादी का अंत हो चुका है। उसने ई इलावरसन से संबंधों को लेकर कोई भी बात करने से इंकार कर दिया था।
ई इलावरसन (20) ने पिछले साल अक्‍टूबर में अपने से दो साल बड़ी दिव्या नागराजन से ब्याह रचाया। वह दलित था और दिव्या वन्नियार जाति से, जो खुद को दलितों से ऊपर मानते हैं। यह शादी, शादी नहीं बरबादी का आगाज थी, जिसने पूरे राज्य को सुलगा दिया। दिव्या के पिता ने अपनी बेटी की इस कारगुजारी से दुखी होकर अपनी जान दे दी। साम्प्रदायिक दंगों की आग ने कई बेगुनाहों के घर उजाड़े। जातिगत सियासत का नंगा नाच हुआ। और आखिरकार पीएमके नेता एस रामदास जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए। कई मुश्किलों के बावजूद यह मोहब्बत शादी के अंजाम तक पहुंची थी। सात जन्मों तक साथ निभाने के वादे के साथ प्रेमी जोड़े ने समाज, जाति बिरादरी व अपने माता पिता की इज्जत व अरमानों को ठेंगे पर रखकर शादी तो कर ली लेकिन केवल सात महीने में प्रेम कहानी तार-तार हो गई। एक-दूसरे का होने की खातिर दुनिया को ठेंगे पर रखने वाला यह युगल अलग हो गया। 
7
नवंबर को पंचायत में बुजुर्गों ने फैसला किया कि दिव्या को घर लौटना होगा। लेकिन उसने अपने पति के साथ ही रहने का निर्णय लिया। उसी शाम अपनी बेटी के फैसले से नाराज और निराश पिता जी नागराजन ने खुदकुशी कर ली थी।
इस मौत ने इलाके में दलितों के खिलाफ गुस्सा भड़का दिया। जमकर हिंसा हुई, सैकड़ो वाहन जलाए गए, दलितों के घर फूंक दिए गए। कहानी यही नहीं रुकी। तनाव राज्य के दूसरे इलाकों तक भी पहुंच गया। पीएमके ने जातिगत कार्ड खेला, जो वन्नियार की पार्टी मानी जाती है। हालात इतने बिगड़ गए कि पार्टी नेता गिरफ्तार कर जेल में डाल दिए गए। हिंसा जारी रही। दो लोग मारे गए और हाइवे पर गाड़ियों पर हमले होने से कई लोग जख्मी होकर अस्पतालों में भर्ती हुए।
यह हमला दिव्या और इलावरसन के रिश्ते पर भी हुआ। दिव्या 2 जून को अपनी मां के पास लौट गई। इलावरसन ने पुलिस में मामला दर्ज कराया। एक मामले की सुनवाई के लिए दोनों पक्ष अदालत पहुंचे। जजों ने पूछा कि दिव्या मां के साथ रहना चाहती है या अपने पति के, तो उसने रोते हुए कहा कि उसकी मां बीमार और पिता की मौत के बाद अकेली है, इसलिए वह उसके साथ रहना चाहती है।
इलावरसन ने दिव्या से लौटने का आग्रह किया, लेकिन वह चुप रही। उसके करीबी लोगों का कहना था कि यह शादी खत्म हो चुकी थी। आग्रह स्वीकार करते हुए अदालत ने दिव्या को मां के साथ जाने की इजाजत दे दी। दोनों तरफ के वकीलों ने उसकी सुरक्षा का इंतजाम करने की अपील की। दिव्या के वकील के मुताबिक शादी रजिस्टर नहीं कराई गई थी, क्योंकि इलावरसन की उम्र 21 साल से कम है। कानूनी रूप से दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं है, इसलिए औपचारिक तलाक की जरूरत भी नहीं है।

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