बुधवार, 30 सितंबर 2015

इंटरव्यूः नीरज कुमार, प्रवक्ता-जदयू

छह लोगों को तो नौकरी दे नहीं सके, लाखों को कैसे देंगे

चुनावी खुमार में डूबने लगा है बिहार। आपके मुद्दे क्या हैं।
हमारा मुद्दा है, बदलता बिहार, बढ़ता बिहार और कानून का राज, सांप्रदायिक सौहार्द्र और सबके साथ न्याय।
कानून का राज या जंगलराज। विरोधी तो यही कह रहे हैं?
स्वाभाविक है कि भाजपा ने जो वादे किये और जो उनकी उपलब्धियां हैं उस पर सार्थक बहस कर नहीं सकते। इसलिए बार-बार इस जुमले को माननीय मोदीजी अपनी हर सभा में रिपीट कर रहे हैं। चूंकि उपलब्धियों के नाम पर बताने को कुछ है नहीं और नीतीश कुमार पर सीधा हमला कर नहीं सकते, विकास के मुद्दे पर फंस जाएंगे इसलिए नकारात्मक राजनीति की जा रही है। वहां तो सिर्फ एक ही ब्रह्मास्त्र हैं नरेंद्र मोदी, सिपाही भी और सेनापति भी। लेकिन इस बार जबर्दस्त हार मिलने वाली है। 
लेकिन जंगलराज का तमगा भी तो खुद नीतीश कुमार ने ही दिया था?
नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक शब्दावली में कभी भी इस शब्द का प्रयोग नहीं किया। सबसे पहले यह शब्द पटना हाईकोर्ट के एक न्यायायिक आॅब्जर्वेशन में आया था। कानून का राज नेतृत्वकर्ता पर तय होता है। हमारे यहां नेतृत्वकर्ता नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने कानून का राज स्थापित कर दिखाया है। उनके यहां नेतृत्व कौन करेगा? लालू प्रसाद बहुत खराब और रामकृपाल यादव बहुत अच्छे। पप्पू यादव प्रेरणा स्रोत बने हैं। उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दी जा रही है। जिनके नाम से बिहार की जनता दहशत खाती रही है उन तमाम आपराधिक छवि के फ्रीडम फाइटरों की सहायता से कानून का राज स्थापित करेगी भाजपा?
भाजपा के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने लायक उसके पास दर्जनों नेता हैं?
दर्जनों नेता हैं तो किसी एक का नाम बता क्यों नहीं देते? भाजपा कह रही है कि सरकार उसी की बनेगी तो नाम घोषित कर देने में परेशानी क्या है। सर्वनाम की बजाय संज्ञा में नाम घोषित कर बिहार की जनता को आश्वस्त कर दें ताकि पता तो चले कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा।
गठबंधन के बिखराव व उठ रहे विरोधी स्वरों से कैसे निपटेंगे?
कहीं कोई बिखराव नहीं है। एनसीपी हमारी सहयोगी पार्टी है। उसे मना लिया जाएगा। हमारा प्राथमिक उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी को हराना है और इसके लिए सबको एकजुट रहना होगा और कुर्बानी भी देनी होगी। रही बात रघुवंश बाबू की तो वे हमारे वरिष्ठ नेता हैं। किसी भी परिवार में चलती तो मुखिया की ही है और राजद के मुखिया लालू प्रसाद हैं। इसलिए चिंता करने की बात नहीं है।
पहले आप 115 थे लेकिन अब सौ सीटों पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। यह आपका प्रमोशन है, डिमोशन है या मोदी का भय?
न यह प्रमोशन है न डिमोशन है और न ही मोदी का भय है। नीतीश कुमार के भय से तो पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल पिछले कई महीनों से पटना में डेरा डाले हुए है। जहां तक कम सीटों पर लड़ने का प्रश्न है तो सीटें तो सीमित हैं, उसी में सबको लड़ना है इसलिए त्याग तो करना पड़ेगा। हमने बड़े लक्ष्य के लिए यह त्याग किया है। बड़े उद्देश्यों को हासिल करने के लिए सीटों की संख्या मायने नहीं रखती। और हमारी तारिक अनवर से भी यही अपील है कि वे सीटों की संख्या को प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाकर भाजपा को हराना अपना प्राथमिक लक्ष्य बनायें। 

इन दिनों सभी पार्टिया बिहार को बदलने में लगी हैं। आखिर कौन बदलेगा बिहार?
जनता जानती है कि कौन बदलेगा बिहार। 15 महीनों में बिहार के संदर्भ में किये गये लंबे चौड़े वायदों की ओर नहीं जा रहा। बस भाजपा यही बता दे कि पटना के गांधी मैदान में जो दुखद आतंकी ब्लास्ट हुआ उसमें मारे गये छह लोगों के परिजनों को माननीय मोदीजी ने नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन आज तक उन छह लोगों को भी नौकरी नहीं दे पाये, ऐसे में भला वह कैसे लाखों नौजवानों को रोजगार देंगे। जबकि बिहार में जहां संसाधन सीमित है वहां नीतीश कुमार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में 25-30 युवाओं को औसतन रोजगार दिया है। सीमित संसाधनों के बीच ऐसा करने वाला बिहार पहला राज्य है। मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि इसे गलत साबित कर बताए। भाजपा की तरफ से जो भी वायदे किये गये उनमें से कोई भी वादे सरजमीं पर नहीं उतरें जबकि नीतीश कुमार ने जो कहा उसे पूरा कर दिखाया।

बिहार के लिए विशेष पैकेज की मांग की जा रही थी। अब प्रधानमंत्री ने मांग से भी अधिक देकर आपसे वह मुद्दा भी छीन लिया?
जो मंत्रिपरिषद से स्वीकृत नहीं, कैबिनेट का निर्णय नहीं। संसद द्वारा पारित नहीं वह पैकेज नहीं छलावा है। संविधान के अनुच्छेद 275 में स्पष्ट वर्णित है कि राज्य को कोई अनुदान दिया जाएगा वह विधि के अनुसार होगा। अगर मंशा साफ थी तो क्यों नहीं मानसून सत्र में इसकी घोषणा की गई। मोदीजी को तो पैकेज व अनुदान तक का अंतर नहीं पता। कैसे बोल दिया कि वाजपेयीजी ने बिहार बंटवारे के वक्त पैकेज दिया था। वह पैकेज नहीं अनुदान था। भगवान भरोसे ही चल रहा है देश।
एक सीधे सवाल का सीधा जवाब दीजिए। आप चुनाव लड़ रहे हैं गठबंधन में लेकिन बढ़ता बिहार के पोस्टरों में एक भी घटक दल के नेता की तस्वीर नहीं?
पहली बात तो यह कि ‘बढ़ता बिहार, बदलता बिहार’ किसी राजनीतिक दल ने नहीं राज्य सरकार के सूचना विभाग द्वारा जारी किया गया है। जनता दल यू राजनीतिक दल है जब पार्टी अपना बैनर, पोस्टर जारी करेगी उसमें गठबंधन शामिल सभी दलों के नेताओं की तस्वीर होगी।

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