मंगलवार, 13 मई 2014

आपरेशन मोदी


मोदी रोको प्लान पर कांग्रेस में मंथन
दे सकती है तीसरे मोर्चे को समर्थन
मुलायम, मायावती, जयललिता व ममता बनर्जी समेत दर्जन भर दावेदार

तथाकथित मोदी लहर अब कांग्रेस को भी डराने लगा है। जैसे-जैसे 16 मई नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे कांग्रेस की धड़कनें बढ़ती जा रही हंै। मोदी के बढ़ते काफिले को रोक पाने में खुद को अक्षम पा रही कांग्रेस नये सहयोगियों की तलाश में जुट चुकी है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह केंद्र में एक स्थायी सरकार गठन के लिए तमाम विकल्पों पर गौर करे। इसके लिए व्यापक यूपीए-3 की संभावनाओं को भी टटोला जा रहा है। हालांकि यह सब कांग्रेस व भाजपा द्वारा प्राप्त सीटों के आंकड़े पर निर्भर करता है। अगर भाजपा व उसके सहयोगियों को सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिल पाता है तो फिर उसके लिए नये सहयोगी तलाशना टेढ़ी खीर ही साबित होगी। ऐसे में एक बार फिर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर यूपीए-3 का तानाबाना बुना जा सकता है। हालांकि खुद कांग्रेस को भी यह दूर की कौड़ी ही नजर आती है। बावजूद इसके मोदी सरकार न बने इसके लिए कांग्रेस की ओर से तमाम हथकंडे आजमाए जा रहे हैं। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए ‘आॅपरेशन मोदी’ पर काम करना शुरू कर दिया है। अनौपचारिक बातचीत में कांग्रेस नेता भी मानते हैं कि राहुल गांधी के तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस की हालत पतली ही है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए जरूरी मैजिक फिगर तो दूर यूपीए के लिए उसके आसपास फटकना भी खुली आंखों सपने देखने जैसा है। यही कारण है कि मोदी लहर से घबराए कांग्रेस के रणनीतिकार अब तीसरे मोर्चे की सरकार को समर्थन देने की बात करते नजर आ रहे हैं। मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस का यह आखिरी दांव है। इसके पहले मोदी को निपटाने के लिए अपनाये गये उसके हर हथकंडे बेकार साबित हुए हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि एनडीए मैजिक फिगर तक नहीं पहुंच पाती है तो ऐसे में उसे मोदी के नाम पर अन्य दलों से समर्थन मिलना नामुमकिन ही है। ऐसे में तीसरे मोर्चे की सरकार को समर्थन देना कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहेगा। हालांकि, ऐसी किसी भी संभावना को कांग्रेस उपाध्यक्ष सिरे से ही नकार चुके हैं। उन्होंने अभी हाल ही में कहा था कि यदि सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिलता तो जोड़तोड़ कर सरकार बनाने या तीसरे-चौथे मोर्चे को समर्थन देने के बजाय कांग्रेस विपक्ष में बैठेगी। इस सबके बीच तथाकथित तीसरे मोर्चे का स्वरूप भी अभी स्पष्ट नहीं है। इस मोर्चे के संभावित सभी दलों के नेता खुद को प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार मानते हैं। चाहे वह मुलायम सिंह यादव हों या तीन देवियां जयललिता, मायावती और ममता बनर्जी। मुलायम सिंह यादव तो प्राय: अपनी हर सभा में खुद को प्रधानमंत्री का दावेदार बताते घूम रहे हैं, वहीं उनकी धुर विरोधी बसपा सुप्रीमो मायावती भी एकाधिक बार दलित की बेटी के प्रधानमंत्री बनने की बात कर चुकी हैं। इससे इतर ‘ईस्ट आॅर वेस्ट, अम्मा इज द बेस्ट’ के नारे के साथ जयललिता समर्थक देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें देख रहे हैं। अगर तीसरे मोर्चे की सरकार बनने की नौबत आती है तो फिर नीतीश कुमार से लेकर नवीन पटनायक तक प्रधानमंत्री पद के और भी दर्जन भर दावेदार सामने आ सकते हैं। ऐसे में पीएम पद के दावेदारों को लेकर होने वाली सिरफुटौव्वल देखना दिलचस्प होगा। बहरहाल, यह सब फिलहाल अटकलबाजी ही है। फिर भी कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के स्पष्ट कर देने के बावजूद तीसरे मोर्चे को समर्थन देने पर गंभीर विचार विमर्श चल रहा है। समर्थन देने को लेकर पार्टी में दो तरह के मत हैं। एक गुट चाहता है कि तीसरे मोर्चे को बाहर से समर्थन दिया जाए जबकि दूसरे गुट की मान्यता है कि किसी बीस सीटों वाली पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री बनवा कर खुद बाहर रहना घाटे का सौदा होगा। इस गुट का मानना है कि इस परिस्थिति में कांग्रेस को भी मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहिए। इससे सरकार पर अंकुश भी रहेगा व स्थायित्व भी हासिल होगा। बहरहाल, मोदी सरकार न बने इसके लिए कांग्रेस को किसी भी हद तक जाने व किसी भी हथकंडे को अपनाने से गुरेज नहीं है। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपने मंसूबे में कितना कामयाब हो पाती है।

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