- पीएम पद के तीनों प्रमुख दावेदार नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी व मुलायम सिंह यादव यूपी से ही लड़ रहे हैं चुनाव
अक्सर कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी से होकर जाता है। इसके पीछे वाजिब तर्क भी है। अगर अपवादों को छोड़ दें तो देश के अधिकतर प्रधानमंत्री इसी राज्य से जीतकर दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुए हैं। यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। यूपी में जिस पार्टी ने अपना झंडा बुलंद कर लिया उसकी सरकार बनना लगभग तय माना जाता है। यही कारण है कि तमाम राजनीतिक दलों की चाहत उत्तर प्रदेश की अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा करने की रहती है। अब यूपी किसको ताज पहनाएगा यह तो 16 मई के बाद ही पता चलेगा पर जो भी हो एक बार फिर यूपी देश को प्रधानमंत्री देने जा रहा है। नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी व मुलायम सिंह के रूप में प्रधानमंत्री पद के तीनों प्रमुख दावेदार इस बार यूपी की क्रमश: वाराणसी, अमेठी व आजमगढ़ से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वाराणसी से भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, अमेठी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व अपने गृह जनपद के अतिरिक्त आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव चुनावी रण में हैं। मोदी लहर पर सवार भाजपा को लगता है कि वह अपना पिछला रिकार्ड एक बार फिर दोहरा पाएगी। हालांकि वह पिछले हर लोकसभा चुनाव में पिछड़ती गई है। कभी लोकसभा की 57 सीटें जीतकर केंद्र में सरकार बनाने वाली भाजपा की हालत दिनोंदिन खस्ता होती गई। इस बार उसको उम्मीद है कि यूपी में उसके ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’। वहीं प्रधानमंत्री की कुर्सी की ओर टकटकी लगाए समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को भी लगता है कि यदि वे यूपी से ठीकठाक सीटें निकाल लेंगे तो उनके भाग्य से छींका टूट सकता है। यानि कि वे भी तीसरे मोर्चे के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। हालांकि यह तभी संभव है जब भाजपा व उसके सहयोगी सरकार बनाने लायक बहुमत से काफी पीछे रह जाएं। साथ ही कांग्रेस की सीटें भी काफी कम हो जाए। मसलन कांग्रेस 50-60 सीटों तक सिमट जाए। ऐसे में तीसरे मोर्चे के रूप में भानुमति का कुनबा जुड़ सकता है और मुलायम सिंह पीएम बन सकते हैं। बावजूद इसके यह दूर की कौड़ी ही नजर आती है। क्योंकि जिस तीसरे मोर्चे की बात जोरशोर से की जा रही है, उसमें शामिल होने वाले संभावित दलों के बीच भी कम खींचतान नहीं है। एक-दूसरे के धुर विरोधी मुलायम-मायावती या फिर टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी और वामदलों के बीच की गहरी खाई को कैसे पाटा जाएगा। हालांकि भाकपा नेता जयवर्द्धन कह चुके हैं कि ममता बनर्जी से वामदलों को कोई गुरेज नहीं है। रही बात मुलायम व मायावती की तो दोनों ही यूपीए 2 की सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे। उसी तरह मायावती बाहर से तीसरे मोर्चे को समर्थन देंगी। तीसरे मोर्चे के रणनीतिकारों का मानना है कि मुस्लिम वोटबैंक को सुरक्षित रखने के लिए व भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के नाम पर वे राजी हो जाएंगी। इससे इतर अगर कांग्रेस की सीटें सौ से अधिक हो जाती है तो एक बार फिर व्यापक यूपीए 3 की संभावनाएं टटोली जा सकती हैं। ऐसी सूरत में सरकार का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी करेगी। जैसी की संभावना है तब राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे। बहरहाल, इससे एक बात तो स्पष्ट है कि यदि विशेष कुछ परिवर्तन नहीं हुआ तो इस बार देश का प्रधानमंत्री यूपी से ही होगा।
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