गुरुवार, 23 मई 2013

बिहार का नया राजघराना

 बद्रीनाथ वर्मा

रैली के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन करना सभी राजनीतिक दलों का मुख्य शगल है। जब वे सत्ता में होते हैं तो सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर इन रैलियों को सफल बनाने की कोशिश करते हैं। और जब सत्ता में नहीं होते हैं तो करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाकर जनता की भीड़ जुटाने में खून पसीना बहाते हैं। पंद्रह वर्षों तक बिहार पर एकछत्र राज करने वाले लालू प्रसाद यादव सत्ता से दूर क्या हुए उनके सितारे ही गर्दिश में चले गये। अपना तो किसी तरह कट जाएगा लेकिन चिंता अब बेटों की है। किसी तरह राजनीति में उनके पैर जमा दिए जायं। दिन रात इसी उधेड़बुन में लगे हुए हैं। बेटा तेज प्रताप का कैरियर क्रिकेट में बनाना चाहा लेकिन वहां नाकामयाबी ही हासिल हुई। हार थककर उन्होंने अपने पुश्तैनी कारोबार राजनीति में पदस्थापित करने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा रहे हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने 15 मई को पटना में एक रैली कर अपने दोनों बेटों से जनता का परिचय कराया। दोनों बेटे हाथ हिलाकर रैली में आई जनता का अभिवादन करते दिखे। रैली को नाम दिया गया था परिवर्तन रैली। पटना के गांधी मैदान में आयोजित इस रैली में जुटी भीड़ को देख राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि वह जनता के सामने नतमस्तक हैं। हालांकि उन्हें जितनी भीड़ की उम्मीद थी लाख जतन के बावजूद वह उतनी भीड़ नहीं जुटा सके। उन्होंने बिहार के विभिन्न इलाकों से चलने वाली लगभग दर्जन भर रेलगाड़ियां, पांच सौ के करीब बसें व सैकड़ों नावों पर करोड़ों रुपये खर्च किये फिर भी उनकी आशा के अनुरूप भीड़ नहीं जुटी। इस परिवर्तन रैली में उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का 'तोता' करार देते हुए कहा कि वह भाजपा और आरएसएस की गोद में बैठकर सरकार चला रहे हैं। अब उनका पतन तय है। इस रैली की खासियत यह रही कि उनका पूरा कुनबा मंच पर एक साथ दिखा। पत्नी राबड़ी देवी के अलावा दोनों बेटे तेजस्वी व तेजप्रताप तथा बेटी मीसा भी मौजूद थीं।
लालू प्रसाद ने अपनी और वर्तमान सरकार की तुलना करते हुए कहा कि हमारे राज में बच्चे स्लेट लेकर स्कूल जाते थे, अब प्लेट लेकर जाते हैं। लालू ने नीतीश को चेताया कि जो जनता माला पहनाती है, वह जूता मारना भी जानती है। उन्होंने बिहार के विकास पर कहा कि विकास कम हो रहा है, ढिंढोरा ज्यादा पीटा जा रहा है। नीतीश की दलाली करने वाले कहते हैं कि बिहार अमेरिका से आगे निकल गया है, जबकि हकीकत कुछ और है। मुस्लिम वोटों पर निगाह गड़ाये लालू ने मुस्लिमों की दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा कि आज बिहार में अल्पसंख्यकों पर जुल्म हो रहा है। उन्हें आतंकवादी के नाम पर गिरफ्तार किया जा रहा है, मगर सरकार चुप है। उन्होंने हुंकार भरी कि सरकार भले ही चुप है पर हम चुप नहीं बैठेंगे। नीतीश सरकार की कमियां गिनाते हुए लालू ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा, "हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं, अब हम तुमको बिहार से भगाने वाले हैं।" उन्होंने बरमेश्वर मुखिया की हत्या का जिक्र करते हुए सवर्ण जातियों को भी अपने पाले में खींचने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल में मुखिया जेल से रिहा हुए और नीतीश सरकार में उनकी हत्या हो गयी। नीतीश को वोट देकर सवर्ण जाति के लोग भी अब पछता रहे हैं। लगे हाथों शिक्षकों की दुर्दशा की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सत्ता में आते ही सबसे पहले अनुबंध पर कार्य कर रहे शिक्षकों को नियमित करेगी। लालू ने आरोप लगाया कि नीतीश के राज में शिक्षकों की अनदेखी हुई है। हक देने के बजाय उन्हें लाठी मारी जा रही है। इसलिए नीतीश सरकार की विदाई का समय आ गया है। वंशवाद को बढ़ावा देने के आरोपों का जवाब देते हुए लालू ने कहा कि उनका बेटा लालटेन नहीं थामेगा तो क्या कमल और तीर थामेगा। नीतीश पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि आज बिहार में अधिकारी जनप्रतिनिधि की बात नहीं सुनते। नीतीश तो दावे सुशासन की करते हैं, मगर राज्य में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। रैली में मौजूद राबड़ी देवी ने भी नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा। बिहार को छोड़कर दिल्ली भाग जाने के नीतीश के बयानों पर बरसते हुए राबड़ी ने कहा, "आज कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि हम दिल्ली भाग गए हैं लेकिन हम आपके साथ हैं। पूरा बिहार हमारा परिवार है।" उन्होंने नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान करते हुए कहा कि "आप सभी के समर्थन से हम नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।" पूर्ववर्ती आरजेडी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आरजेडी शासन में गरीबों को जुबान मिली थी पर इस सरकार में गरीबों की कहीं कोई सुनवाई नहीं है। पूरे राज्य में लूट, भ्रष्टाचार और घोटालों की भरमार है। उन्होंने नीतीश पर प्रहार करते हुए कहा, "नीतीश कुमार आरजेडी की परिवर्तन रैली के डर से दिल्ली भाग गए। बिहार की जनता लावारिस नहीं है, यहां की जनता के साथ हम हैं।"
राजद की परिवर्तन रैली पर चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे लालू को वंशवाद को बढ़ावा देने की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन रैली 'एस-2' (साधु-सुभाष) से 'टी-2' (तेज प्रताप और तेजस्वी) में परिवर्तन के लिए है। खुद को परिवर्तन रैली से अंजान बताते हुए नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि इसके बारे में मुझे नहीं मालूम। रैली करना राजनीतिक दलों का लोकतांत्रिक अधिकार है। रैली में कौन क्या बोले इससे हमें क्या मतलब है। पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि अपराध के बारे में लोग क्या महसूस करते हैं, आप क्या महसूस करते हैं, एक नागरिक के रूप में बिहार में अपराध के बारे में क्या जानते हैं? उन्होंने कहा कि बिहार की जनता चैन की सांस ले रही है। अब लोग अपराधियों से नहीं डरते बल्कि अपराधी कानून से डरते हैं। परिवर्तन रैली पर बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि कुछ लोगों को जुटा लेने से परिवर्तन नहीं आ जाता। ये परिवर्तन नहीं लालू की अहंकार रैली है।
उन्होंने कहा कि इससे जनता को कोई लेना देना नहीं है। ये राजनैतिक नहीं कॉरपोरेट पार्टी है। जब जेल जाने लगे थे तो राबड़ी देवी को सीएम पद सौंप गए थे। वहीं बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन का ने कहा कि आरजेडी राजनैतिक दल है। उसे रैली करने का पूरा अधिकार है पर इतना जान लीजिए कि बिहार में कोई वेकेंसी नहीं है, इसलिए लालू का बिहार की सत्ता में आने का सपना कभी पूरा होने वाला नहीं है ।

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तेजस्वी पर एक नजर
राहुल गांधी, अखिलेश यादव, वरुण गांधी जैसे राजनेताओं की नई पीढ़ी में अब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव भी शामिल हो गए। तेजस्वी ने राजनीति की पाठशाला में पढ़ाई तो पहले हीं शुरू कर दी थी, लेकिन औपचारिक तौर पर 15 मई को पटना के गांधी मैदान में आयोजित परिर्वतन रैली से इसकी शुरुआत की। 25 वर्षीय तेजस्वी का क्रिकेट से बहुत लगाव रहा है। इसी का नतीजा है कि इन्होंने रणजी के साथ-साथ इंडियन प्रीमियर लीग के लिए दिल्ली डेयरडेविल्स का प्रतिनिधित्व किया।
9 नवंबर 1989 को पटना में पैदा हुए तेजस्वी बचपन से ही क्रिकेट के प्रति रुझान रखते रहे हैं। मध्यक्रम बल्लेबाज व दाएं हाथ के गेंदबाज तेजस्वी ने एक घरेलू मैच खेला है जिसमें उनका स्कोर 19 रन था। उन्होंने 2 वनडे व 4 टी-20 मैच भी खेले हैं। दिल्ली अंडर -19 टीम के लिए उनका चुनाव हुआ। उनका 2011 में आईपीएल सीजन 4 में दिल्ली डेयरडेविल्स टीम के लिए अनुबंध हुआ था।
तेजस्वी ने 2010 के विधानसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था, लेकिन कोई प्रभाव बनाने में असफल रहे। वह फिर से क्रिकेट खेलने के लिए वापस चले गए और रणजी ट्रॉफी के लिए झारखंड का और इंडियन प्रीमियर लीग के लिए दिल्ली डेयरडेविल्स का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन अब, वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव के साथ राजनीति के मैदान में खेलने के लिए वापस आ गये हैं।

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खाने के साथ नाच गाने का भी था बंदोबस्त
परिवर्तन रैली में शामिल होने आये लोगों के लिए राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव की ओर से ठहरने, खाने-पीने के साथ-साथ उनके लिए नाच-गाने का भी भरपूर इंतजाम किया गया था। बाहर से कलाकारों को भी लोगों के मनोरंजन के लिए पटना बुलाया गया था। राजद कार्यकर्ताओं के ठहरने वाले प्रत्येक स्थानों पर मनोरंजन की पूरी व्यवस्था की गई थी। राजद के प्रवक्ता रंधीर यादव के अनुसार वरिष्ठ राजद नेता सम्राट चौधरी के आवास पर कव्वाली का आयोजन किया गया था। यहां लखनऊ की कव्वाली गायिका रुखसाना और सुल्ताना के बीच मुकाबला हुआ और इसका लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। भीड़ को रैली की ओर खींचने के लिए कव्वाली, लोकगीत, लोक नाच के साथ -साथ बार बालाओं के डांस भी कराये गये। पुलिस के लिए इस भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया था। गांधी मैदान के अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयप्रकाश यादव, विधायक सुरेन्द्र यादव के घरों पर भी रंगारंग कार्यक्रम का दौर चलता रहा। डांसरों के ठुमकों की बीच नेताजी भी ताल से ताल मिलाते देखे गए।


  "हमारा बेटा लालटेन नहीं थामेगा तो क्या कमल और तीर थामेगा!... लालू प्रसाद यादव, अध्यक्ष राष्ट्रीय जनता दल

रैली 'एस-2' (साधु-सुभाष) से 'टी-2' (तेज प्रताप और तेजस्वी) 

में परिवर्तन के लिए है।  नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार

 परिवर्तन रैली बिहार को फिर से आरजेडी के जंगलराज वाले युग में ले जाने के लिए है।...... सुशील कुमार मोदी, उपमुख्यमंत्री बिहार

कुछ लोगों को जुटा लेने से परिवर्तन नहीं हो जाता। यह परिवर्तन नहीं लालू की अहंकार रैली है।...... गिरीराज सिंह भाजपा नेता

 कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि हम दिल्ली भाग गए हैं लेकिन हम आपके साथ हैं। पूरा बिहार हमारा परिवार है।" राबड़ी देवी, पूर्व मुख्यमंत्री बिहार

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