शनिवार, 24 अक्तूबर 2009

वो गुजरा ज़माना बचपन का

मेरा जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के अत्यंत पिछडे जिले गाजीपुर के गहमर ग्राम में आज से करीब ४० वर्षो पूर्व एक मध्यम वर्गीय स्वर्णकार परिवार में हुआ था ।वैसे गहमर मेरा ननिहाल है । मेरे अपने गाँव का नाम परसा है जो इसी जिले के मुहम्मदाबाद थानान्तर्गत पड़ता है ।मेरा गाँव सड़क व रेलमार्ग से जुडा हुआ है । हम कुल नौ भाई -बहन है । मुझसे बड़ी चार बहने हैं । तो जाहिर है की मै जब पैदा हुआ तो बहनों के साथ ही बाबूजी ( स्वर्गीय गंगा प्रसाद ) और माई ( स्वर्गीया राम रति ) की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा । हो भी क्यों न मेरे जन्म से मेरी माई के ऊपर लगा निपूती का कलंक जो धुल गया था ।खैर मेरे बाद एक और भाई केदार नाथ फ़िर दो बहने तथा सबसे छोटा भाई काशी नाथ पैदा हुआ ।घर में खूब वैभव तो नहीं था किंतु हाँ दाल - रोटी की कमी नहीं थी । यहाँ एक बात जोड़ना चाहूँगा कि बाबूजी एक गैर सरकारी संस्था में मुनीम थे । जब वह छुट्टियों में घर आते थे तो फ़िर क्या पूछना, घर में दूध - दही की नदियाँ बहने लगती थी। इन दिनों हमारे नखरे देखने लायक होते थे .हमारी इच्छाएं तत्काल पुरी की जाती थी .कुल मिलकर हमारा परिवार एक खुशहाल परिवार था । लेकिन विधाता को शायद यह मंजूर नहीं था ,उससे हमारी खुशियाँ देखि नहीं गई और वह हो गया जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी । हाँ तो मैंने जैसा kaha की बाबूजी मुनीम थे , उस वक्त वे पटना की एक गैर सरकारी संस्था में सेवारत थे .वही हृदयाघात से उनका आकस्मिक निधन हो गया .बाबूजी की मृत्यु हमारे लिए किसी वज्रपात से कम नही थी । इस असर संसार से बाबूजी के अचानक यूँ चले जाने से माई के सामने हम सात भाई -बहनों को पालने की जिम्मेदारी एक विराट चुनौती बन कर खड़ी हो गई ,क्योंकि हमारे चाचा ने बाबूजी की तेरहवी के अगले दिन ही यह कहते hue हमसे पल्ला झाड़ लिया की अब अपना खर्चा संभालो । हमें अलग कर दिया । यहाँ यह स्पस्ट कर दू की बाबूजी अपनी मृत्यु के पूर्व ही दो बड़ी बहनों की शादी कर चुके थे । इस प्रकार बचे हम सात भाई -बहनों के पेट पालने की जिम्मेदारी मेरी माई के कंधो पर आ पड़ी । उस समय मै दस साल का था जबकि सबसे छोटे भाई की उमर थी महज डेढ़ साल । उस वक्त मै दुनिया जहाँ से बेखबर गाँव की ही प्राईमरी पाठशाला में कक्षा ५ वी का छात्र था। शेष अगली बार - बद्री नाथ वर्मा, कोलकाता 09836721276

4 टिप्‍पणियां:

  1. चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
    मेरी शुभकामनाएं.
    --

    दोस्ती और दोस्ती का बदलता यथार्थ- friends with benefits- बहस-९ [उल्टा तीर]

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  2. आपने अपना जीवन बहुत ही झंझावातों के बीच जीया है, आपके अनुभव आने वाली पीढी के काम आयेगें और रिश्तेदार.......
    मिला जब भी मौका साथ छोड़ गये अपने
    पल मे चकनाचूर हुए मेरे शीशे के सपने
    आप का स्वागत करते हुए मैं बहुत ही गौरवान्वित हूँ कि आपने ब्लॉग जगत मेंपदार्पण किया है. आप ब्लॉग जगत को अपने सार्थक लेखन कार्य से आलोकित करेंगे. इसी आशा के साथ आपको बधाई.
    ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं, हमने नया चिटठा "चर्चा पान की दुकान पर" प्राम्भ किया है, चिट्ठे पर आपका स्वागत है.

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  3. चलो अच्छी शुरुआती है, लगातार लिखे और दूसरों के ब्लाग पर टिप्पणी करके अपने विचार रखें,

    merajawab.blogspot.com

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  4. Dear Babua,
    Tumhara lekh bahoot hi acha hain.Ye sab Padhne ke baad main bhi 40 saal peeche chali gayi.Jab tumhara janam hoowa tha tab mausi aur nani sabse pehle mujhe hi batayein thi (Dekho Dekho Bhaiya aaya Hain). Hum aur Maa to bahoot hi kush the. OOs samay Babu to Patna main the aur tumhare Barahi main Babu Sone ka Kada, sone jaisa kurta pehne hoowe hamara sawala salona Bhaiya bada pyara lag raha tha.
    Kush Raho

    Tumhari Didiya

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