रविवार, 18 अक्तूबर 2009

आओ बस्ती-बस्ती खेलें

महात्मा गाँधी के जन्मदिन २ अक्टूबर को कांग्रेसियों ने हास्यास्पद बना दिया । उत्तर प्रदेश के कांग्रिसियो के इस बस्ती - बस्ती खेल से दलितों का कितना फायदा हुआ वह तो नही पता लेकिन हाँ ,नेताऒ को प्रचार खूब मिला । और शायद यही कारणहै की दलित बस्तियों में जाने और वहां रात गुजारने की जैसे कांग्रेस में होड़ लग गई हो । हर कोई इस बहती गंगा में हाथ धोने को उतावला नजर आया । कोयला राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जैसवाल से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के पुर्व कप्तान व नए नवेले सांसद मो अजहरुद्दीन तक इस बस्ती-बस्ती खेल में ख़ुद को शामिल करने से नही रोक पाए । और कूद पड़े बिना कुछ सोचे समझे इस मजेदार खेल का हिस्सा बनने के लिए । वैसे दलित बस्तियों में रात गुजारने का चलन कांग्रेसी युवराज राहुल गाँधी ने शुरू किया था । इसी को आगे बढाते हुए क्रिकेट में मैच फिक्सिंग को लेकर मशहूर हुए मो अजहरुद्दीन आव देखा न ताव और दनादन अपने चुनाव क्षेत्र की एक दलित बस्ती में जा पहुंचे । खैर अजहरुद्दीन जाने को तो दलित बस्ती में जा पहुंचे किंतु शायद वहां की गरीबी या गन्दगी देखकर उनकी हिम्मत जवाब दे गई .बेचारे गए तो थे पुरे मीडिया के तामझाम के साथ अछूतोद्धार करने किंतु वहां जाकर किसी दलित के घर नही बल्कि हलवाई से बनवाकर खाना खाया ,और बमुश्किल एक घंटा ही वहां उस दमघोटू माहौल में बिता कर उल्टे पाववापस लौट आए । सवाल उठता है की ऐसे ड्रामे से क्या दलितों की दशा मेंसुधार हो जाएगा अगर सचमुच दलितों की चिंता है तो नाटकबाजी छोड़कर कुछ ठोस करें जिससे उनकी जिंदगी में खुशहाली आए । -बद्री नाथ वर्मा उप -संपादक भारतमित्र कोलकाता मोबाइल नम्बर -09836721276

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