सोमवार, 8 जुलाई 2019

देश का नया बही खाता


बद्रीनाथ वर्मा

न्यू इंडिया का वादा कर प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया है। सांकेतिक ही सही लेकिन गुलामी की परंपरा को खत्म करते हुए इसे देश का बही खाता नाम दिया गया। साथ ही देश की पहली महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके लिए ब्रिफकेस के बजाय लाल कपड़े की फाइल का इस्तेमाल किया। देश के इस बही खाते का मुख्य फोकस किसान और गांव हैं। चूंकि वित्त मंत्री स्वयं भी महिला हैं इसलिए उन्होंने अपने पहले ही बजट में महिलाओं को बड़ी राहत दी है। जनधन खाताधारक महिलाओं को 5000 रुपए ओवरड्राफ्ट की सुविधा के साथ ही महिलाएं एक लाख रुपए तक मुद्रा लोन भी ले सकेंगी। अमीरों से लेकर गरीबों का कल्याण करने की नीति के तहत करोड़पतियों पर टैक्स की चपत पड़ी है। जिनकी आय 2 करोड़ से 5 करोड़ के बीच है, उन पर 3 फीसदी का अतिरिक्त सेस जबकि  5 करोड़ से अधिक की सालाना आय वालों पर 7 फीसदी का सेस ठोंका गया है। हालांकि मध्यम वर्ग को इस लिहाज से निराशा हो सकती है कि पुराने टैक्स स्लैब में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इस बही खाते में स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए शुरुआती तीन साल तक आयकर से छूट के साथ ही शुरुआत में लगने वाले एंजल टैक्स से मुक्ति दे दी गई है। इसके अलावा उच्च शिक्षा पर नया मसौदा तैयार करने के लिए 400 करोड़ रुपये का बजट जारी करने के साथ ही नई शिक्षा नीति लाने की घोषणा तथा विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए अध्ययन  योजना का ऐलान साफ संकेत है कि सरकार का खासा ध्यान शिक्षा पर है। पिछली बार आयुष्मान भारत जैसी बड़ी योजना लागू करने वाली मोदी सरकार ने इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए किसी तरह की नई बात का जिक्र नहीं है।
बजट की एक खास बात यह है कि इसमें इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर जोर दिया गया है। इसके लिए छूट भी दी गई है। कई क्षेत्रों में सौ फीसदी एफडीआई का रास्ता खोले जाने व 100 से अधिक श्रम कानूनों की जगह सिर्फ चार तरह के कानून लाने की व्यवस्था निश्चय ही एक क्रांतिकारी कदम है। श्रम कानूनों में सुधार की पहल से पता चलता है मोदी सरकार ने उस कमजोर नस को पकड़ लिया है, जिसके चलते चीन से कई समानताएं होने के बावजूद उसके मुकाबले भारत मैन्यूफैक्चरिंग हब नहीं बन पाया। विशेषज्ञों के मुताबिक कई सरकारें आई गईं लेकिन कोई भी सरकार श्रम कानूनों में सुधार का साहस नहीं जुटा पाईं मगर मोदी सरकार ने इसे बदलने की पहल की है। निश्चय ही यह शुभ संकेत है। बहरहाल, आशा के अनुरूप ही सत्तापक्ष ने जहां बही खाते के कसीदे पढ़े वहीं विपक्ष ने इसकी मीन मेख निकालते हुए इसे नई बोतल में पुरानी शराब कहकर अपनी खीझ व्यक्त की है। इससे इतर प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी सराहना करते हुए कहा है कि इससे गरीब को बल मिलेगा, युवा को बेहतर कल मिलेगा। ये बजट 'न्यू इंडिया' के विजन को आगे बढ़ाता है। कुल मिलाकर की गई घोषणाओं के आधार पर अगर इसे संतुलित बजट कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।


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