गुरुवार, 10 जून 2010

माकपा की बढती मुश्किलें

कोलकाता नगर निगम सहित राज्य में हुए स्थानीय नगर निकाय चुनाव में मिली भारी पराजय के सदमे से माकपा अभी उबर भी नहीं पाई थी कि अब उसके घटक दलों ने भी उस पर हमला करना शुरू कर दिया है ।पश्चिम बंगाल में तैतीस वर्षो से लगातार शासन कर रही माकपा अपने ऊपर हो रहे घटक दलों के वार से हतप्रभ है । कहा जाता है न की विपत्तिया जब आती है तो चारो तरफ से एक साथ आती हैं । यही हाल अभी माकपा का है । लोकसभा चुनावो से शुरू हुई उसकी पराजय का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है । तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने तो वैसे ही नाक में दम कर रखा है ऊपर से घटक दलों के बगावती तेवर से माकपा की परेशानिया दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है ।

नगर निकाय चुनाव के परिणाम आने के तुरत बाद तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने राज्य में विधान सभा के चुनाव समय से पहले कराने की मांग की जिसे वाम मोर्चा ने तत्काल ख़ारिज कर दिया । अभी यह मुद्दा पूरी तरह से ठंडा भी नहीं हुआ था की माकपा के घटक दल फारवर्ड ब्लाक ने भी विधान सभा चुनाव समय से पहले कराने की मांग कर दी । फारवर्ड ब्लाक के राज्य सचिव अशोक घोष ने ममता बनर्जी के सुर में सुर मिलते हुए सरकार से राज्य विधान सभा के चुनाव नवम्बर में कराये जाने की मांग की । उन्होंने संवाददाताओ को बताया की चुनाव नवम्बर में कराये जाने के बारे में फारवर्ड ब्लाक के पोलित ब्यूरो में प्रस्ताव पारित किया गया है ।

एक के बाद एक हो रहे अपनो के हमलो से लहूलुहान माकपा चारो तरफ से घिरी हुई जन पड़ती है । अशोक घोष के बयान से निपटने की रणनीति माकपा अभी बना ही रही थी की उसके दुसरे घटक समाजवादी पार्टी के नेता व राज्य के मत्स्य पालन मंत्री किरणमय नन्द ने भी अपने बयानों से तूफान मचा दिया । उन्होंने कहा की राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा की पराजय निश्चित है ।अपने ही घटक दलों द्वारा की जा रही इस तरह की बयानबाजी से माकपा बैकफूट पर आ गई है । उसे समझ नहीं आ रहा है की इस तरह की बयानबाजियो पर कैसे विराम लगाये । ममता बनर्जी ने वैसे ही पहले से ही नाक में दम कर रखा है ऊपर से घटक दलों के नित नए बयानों से माकपा में निराशा छाती जा रही है ।

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