शनिवार, 17 अक्तूबर 2015

समाजवाद के चोले में परिवारवाद का पोषण


(मेरा यह आलेख देश के कई नामी गिरामी अखबारों में प्रकाशित हुआ है। )
कांग्रेस के वंशवाद को लेकर कोसने वाली लगभग सभी पार्टियां आज पूरी तरह से वंशवाद, परिवारवाद और भाई भतीजावाद के शिकंजे में कसी हुई हैं। क्षेत्रीय पार्टियों का तो हाल और भी बुरा है। समाजवाद व सामाजिक न्याय जैसे भारी भरकम शब्दों का सहारा लेकर तमाम क्षेत्रीय राजनीतिक दल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तर्ज पर चल रहे हैं। समाज के वंचित वर्गो व दबे कुचलों के हक के लिए गला फाड़कर चिल्लाने वाले इन तथाकथित सामाजिक न्याय के पुरोधाओं के सामने जब अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का सवाल आता है तो अपने परिवार से आगे इन्हें कुछ दिखाई ही नहीं देता। अपने परिवार व बेटों बेटियों को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपकर उन्हें सियासत में स्थापित करने के लिए ये किसी भी हद तक चले जाते हैं। समाजवादी पार्टी से लेकर राष्ट्रीय जनता दल तक या फिर लोकजनशक्ति पार्टी तक सभी दलों का एकमात्र एजेंडा परिवारवाद का पोषण करने से इतर कुछ भी नहीं है। लोहिया को अपना आदर्श मानने वाली समाजवादी पार्टी जहां मुलायम सिंह की जागीर बन गई है तो जयप्रकाश नारायण का चेला कहलाने में गर्व महसूस करने वाले लालू प्रसाद यादव का राष्ट्रीय जनता दल लालू पति-पत्नी, बेटी एंड संस। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के बेटे, बहु तथा भाइयों भतीजों को लेकर कुल 14 लोग समाजवाद को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं।  तेरह लोग पहले से थे, चौदहवें का प्रादुर्भाव पंचायत चुनावों के जरिए हो रहा है। उधर, राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव अदालत द्वारा चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराए जाने के बाद अपने दोनों बेटों तेज प्रताप व तेजस्वी यादव को बिहार की राजनीति में स्थापित करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहे। एक बेटे को राघोपुर से तो दूसरे को महुआ से चुनावी मैदान में उतार कर साफ संकेत दे दिया है कि राजद उनकी पारिवारिक पार्टी है। राजद लालू की पारिवारिक पार्टी है वे इससे पहले भी साबित कर चुके हैं। याद होगा चारा घोटाले में जेल जाने से पूर्व उन्होंने तमाम वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर अपनी अंगूठाछाप पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री पद पर सुशोभित कर दिया था। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब लालू प्रसाद ने अपनी बेटी मीसा भारती को राजनीति में स्थापित करने के चक्कर में अपने सबसे विश्वस्त साथी रामकृपाल यादव को खो दिया। रामकृपाल यादव की ख्याति लालू के हनुमान के रूप में रही है। लोकसभा चुनाव में टिकट काटे जाने से नाराज रामकृपाल यादव ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया और मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर बिहार में यादवों का एकमात्र नेता होने का लालू प्रसाद का भ्रम तोड़ दिया। यादव बहुल सीट पटना साहिब से उन्होंने लालू को उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसी पटखनी दी कि वे बगले झांकने पर मजबूर हो गये। हालांकि इससे लालू ने कोई सबक नहीं लिया। लालू की राजनीतिक विरासत पर दावेदारी करने के अपराध में राजद मुखिया ने मधेपुरा से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को पार्टी से चलता कर दिया। लालू के पारिवारिक न्याय में बाधा बने रामकृपाल व पप्पू का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव सामाजिक न्याय की आड़ में पारिवारिक न्याय करने में व्यस्त हैं। बहरहाल, लालू को खुश करने के लिए नीतीश कुमार को राघोपुर से जदयू के सीटिंग एमएलए सतीश कुमार का टिकट काटना पड़ा। इससे आहत सतीश कुमार बीजेपी में शामिल हो गये और अब केसरिया झंडे के तले लालू को चुनौती दे रहे हैं। बहरहाल, दलितों के खैरख्वाह रामविलास पासवान जिन्हें लालू प्रसाद मौसम वैज्ञानिक करार दे चुके हैं के कुनबे का हर सदस्य लोक जनशक्ति पार्टी के किसी न किसी पद पर काबिज है। रही बात चुनाव लड़ने की तो उनके दोनों भाई पशुपति कुमार पारस व रामचंद्र पासवान तो चुनाव लड़ ही रहे हैं उनके भतीजे व रामचंद्र पासवान के बेटे भी लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। अलबत्ता इस बीच पासवान की पहली बीवी से पैदा बेटी उषा पासवान के पति अनिल कुमार साधु ने टिकट नहीं मिलने पर बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है। साधु ने अपने ससुर की पोल खोलने की धमकी देते हुए पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी का रुख कर लिया है। अब बात जीतनराम मांझी की। उनके बेटे संतोष मांझी भी हम के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर चुके हैं इससे नाराज मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी ने भी पप्पू की पार्टी ज्वाइन कर ली है। उनका आरोप है कि जीतनराम उनकी कीमत पर अपने पुत्र को आगे बढ़ा रहे हैं।
उधर, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के कुनबे का 14वां सदस्य पंचायत चुनाव के जरिए सक्रिय राजनीति में शामिल हो गये हैं। सपा मुखिया के छोटे भाई राजपाल यादव के बेटे अभिषेक उर्फ अंशुल इटावा के जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र के तकहा विकास खण्ड से जिला पंचायत सदस्य पद के उम्मीदवार हैं। राजपाल यादव की पत्नी प्रेमलता जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं। इटावा के एक वरिष्ठ सपा नेता का दावा है कि अंशुल यदि चुनाव जीतते हैं तो वह जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदार हो सकते हैं। सपा के कद्दावर नेता और मुलायम सिंह यादव के भाई राम गोपाल यादव भी इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं।
सपाध्यक्ष के कुनबे से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री शिवपाल सिंह यादव, उनकी पत्नी सरला और पुत्र आदित्य, राज्यसभा सदस्य राम गोपाल यादव और उनके पुत्र लोकसभा सदस्य अक्षय यादव, दिवंगत रणवीर यादव और उनके सांसद पुत्र तेज प्रताप, सांसद धर्मेन्द्र यादव और उनके छोटे भाई अनुराग, प्रेमलता और अब उनके पुत्र अभिषेक राजनीति में हैं। 

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